क्या आपने कभी सोचा है कि जिन कंपनियों के प्रोडक्ट्स हम रोज़ इस्तेमाल करते हैं जैसे Apple का iPhone, Microsoft का Windows, Amazon की ऑनलाइन शॉपिंग या Tesla की इलेक्ट्रिक कार उन सबकी हिस्सेदारी यानी शेयर हम भी खरीद सकते हैं? सोचिए, अगर आपने सालों पहले इन कंपनियों में निवेश किया होता, तो आज आपकी पूंजी कितनी बढ़ चुकी होती, यही वजह है कि आजकल बहुत से भारतीय लोग अमेरिका के शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं। लेकिन अक्सर सवाल उठता है भारत में बैठे-बैठे अमेरिकी शेयर कैसे खरीदे जाएं? क्या ये मुमकिन भी है? और अगर हाँ, तो कैसे?
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क्यों करें अमेरिकी शेयरों में निवेश?
भारत का शेयर बाजार अपने आप में मजबूत और बढ़ता हुआ है, लेकिन अमेरिकी बाजार दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे पुराना माना जाता है। यहां दुनिया की नामी-गिरामी कंपनियां लिस्टेड हैं। इसका मतलब यह है कि यहां निवेश करने से न सिर्फ़ आपको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक्सपोज़र मिलता है, बल्कि आपके निवेश का दायरा भी बढ़ता है। जैसे अगर केवल भारतीय कंपनियों में निवेश करेंगे और भारत के बाजार में गिरावट आ जाए, तो आपका पोर्टफोलियो डगमगा सकता है। लेकिन अगर कुछ पैसा अमेरिकी कंपनियों में लगा हो, तो एक तरह से आपकी रिस्क बंट जाती है।
भारत से अमेरिकी शेयर खरीदना आसान कैसे हुआ?
कुछ साल पहले तक भारतीय निवेशकों के लिए अमेरिका में सीधे निवेश करना मुश्किल था। न तो आसानी से खाते खुलते थे और न ही ज़रूरी प्लेटफ़ॉर्म्स मौजूद थे। लेकिन आज के डिजिटल ज़माने में सब कुछ बदल गया है। अब भारत में बैठे-बैठे ही आप अमेरिका के स्टॉक एक्सचेंज जैसे NASDAQ या NYSE पर लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीद सकते हैं। बस इसके लिए आपको सही प्लेटफॉर्म चुनना होगा और कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी।
क्या भारत सरकार इसकी इजाज़त देती है?
जी हां। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इसके लिए एक नियम बनाया है, जिसे Liberalised Remittance Scheme (LRS) कहा जाता है। इसके तहत एक भारतीय नागरिक हर साल करीब 2.5 लाख डॉलर (लगभग दो करोड़ रुपये) तक विदेश में निवेश कर सकता है। इसमें अमेरिकी शेयर खरीदना भी शामिल है। मतलब कानूनी रूप से आप अमेरिका में निवेश कर सकते हैं और अपने पैसों को वहां ट्रांसफर भी कर सकते हैं।
अमेरिकी शेयर खरीदने का तरीका क्या है?
अब सबसे अहम सवाल कैसे? इसके लिए आपको एक ब्रोकरेज प्लेटफ़ॉर्म चुनना होगा जो भारतीय निवेशकों को अमेरिकी शेयर खरीदने की सुविधा देता हो। कई भारतीय फिनटेक कंपनियां जैसे Groww, INDmoney, Vested, या कुछ इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म जैसे Interactive Brokers, Charles Schwab इत्यादि ये सुविधा देते हैं। इन पर आपको एक खाता खोलना होगा, अपना KYC यानी पहचान से जुड़े डॉक्यूमेंट्स जैसे आपका PAN कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो और बैंक डिटेल्स देना होंगे और फिर अपने बैंक खाते से डॉलर में पैसा ट्रांसफर करना होगा। उसके बाद आप जिस कंपनी के शेयर खरीदना चाहें, आसानी से खरीद सकते हैं।
भारत से अमेरिका में पैसे भेजने के लिए Liberalized Remittance Scheme (LRS) का इस्तेमाल होता है। इस स्कीम के तहत आप एक साल में अधिकतम 2,50,000 डॉलर तक भेज सकते हैं। हां, ध्यान रहे कि जब आप पैसे अमेरिका में भेजते हैं तो उस पर कुछ चार्ज लग सकता है, जैसे बैंक फीस, फॉरेक्स कन्वर्जन चार्ज और ब्रोकरेज फीस।
क्या पूरी कंपनी का शेयर खरीदना ज़रूरी है?
नहीं। अमेरिका के शेयर अक्सर महंगे होते हैं। जैसे अगर किसी कंपनी का शेयर 500 डॉलर का है और आप पूरा शेयर नहीं खरीदना चाहते, तो आप उसका fractional share भी खरीद सकते हैं। मतलब आप सिर्फ़ 50 डॉलर लगाकर भी उसी कंपनी में निवेशक बन सकते हैं। ये सुविधा छोटे निवेशकों के लिए काफ़ी फायदेमंद है।
निवेश करने से पहले किन बातों का ध्यान रखें?
अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश करने से पहले कुछ चीज़ें समझना ज़रूरी है। सबसे पहले, ये विदेशी निवेश है, इसलिए मुद्रा यानी डॉलर और रुपया के बीच उतार-चढ़ाव का असर आपके निवेश पर पड़ेगा। अगर डॉलर मज़बूत हुआ तो आपका फायदा और भी बढ़ सकता है, लेकिन अगर डॉलर कमजोर हुआ तो कुछ घाटा भी हो सकता है। इसके अलावा टैक्स के नियम भी अलग होते हैं। अमेरिका में आपके मुनाफे पर कुछ टैक्स कटता है, और भारत में भी टैक्स चुकाना पड़ सकता है। इसलिए टैक्स के बारे में सही जानकारी लेना ज़रूरी है।
क्या इसमें जोखिम भी है?
बिल्कुल। जैसे भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होता है, वैसे ही अमेरिकी बाजार में भी जोखिम है। यहां भी कीमतें गिर सकती हैं, कंपनियां घाटे में जा सकती हैं और दुनिया की बड़ी घटनाएं जैसे मंदी, युद्ध या राजनीतिक बदलाव शेयर बाजार को हिला सकते हैं। इसलिए निवेश हमेशा सोच-समझकर करना चाहिए।
लंबे समय के लिए बेहतर है या जल्दी मुनाफा कमाने के लिए?
अगर आप अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं, तो सबसे अच्छा तरीका है इसे लंबी अवधि के लिए देखना। जल्दी मुनाफा कमाने के चक्कर में अक्सर लोग घाटा उठा लेते हैं। लेकिन अगर आप सही कंपनियां चुनकर, धीरे-धीरे और लगातार निवेश करते हैं, तो ये भविष्य में एक मज़बूत संपत्ति बन सकती है।
क्या अमेरिकी शेयरों में SIP कर सकते हैं?
जी हां। जैसे भारत में म्यूचुअल फंड या शेयरों में SIP (Systematic Investment Plan) किया जाता है, वैसे ही कुछ प्लेटफॉर्म अमेरिकी शेयरों में भी SIP की सुविधा देते हैं। इससे आप हर महीने एक तय रकम डालकर शेयर खरीद सकते हैं और लंबे समय में औसत लागत (average cost) पर निवेश बढ़ा सकते हैं।